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पत्र

पत्र लिखकर व्यक्ति अपने मन के विचार आसानी से प्रकट कर सकता है। पत्र लेखन अपनी बात पूरी तरह स्पष्ट करने का सबसे सरल और सस्ता तरीका है। पत्र कई तरह से लिखे जाते हैं। सबका तरीका अलग होता है।

पत्रों में मुख्यत: तीन भाग होते हैं। इसको ध्यान में रखकर पत्र लिखे जाते हैं।

पत्र आरंभ और समाप्त करने की तालिका

पत्र लिखते समय निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए।

पत्र का प्रकार

संबंध (किसको पत्र लिखा)

आरंभ (संबोधन)

समापन

व्यक्तिगत

माता पिता, बड़े भाई, बड़ी बहिन तथा आदरणीय संबधियों को

माननीय, आदरणीय, पूजनीय, परम पूज्य, श्रद्धेय, परम आदरणीय आदि।

आपका, आपका आज्ञाकारी, स्नेही कृपा पात्र, स्नेहाकांक्षी, स्नेहादीन, सेवक आदि


मित्र अथवा सहपाठी

प्रिय मित्र, मित्रवर, प्रिय बंधु, बंधुवर, प्रिय आदि।

तुम्हारा, तुम्हारा अपना, अभिन्न मित्र, चिर स्नेही, चिर शुभाकांक्षी आदि।


पत्नी अथवा पति

प्रिय, प्रियतमे, चिर सहचरी, प्राणेश्वरी आदि।

आपका/आपकी चिर संगनी/ तुम्हारा ही, तुम्हारी ही आदि।


अपने से छोटों को

प्रिय, परम प्रिय, प्रियवर आदि।

तुम्हारा शुभचिंतक, शुभाकांक्षी, शुभेच्छु

व्यावसायिक

पुस्तक विक्रेता, बैंक मैनेजर, ऐसे ही अन्य जिनसे व्यापार करना या उस जैसा व्यवसाय आदि

श्रीमान जी, महोदय, माननीय महोदय, प्रबंधक महोदय, मैनेजर साहब आदि।

भवदीय, निवेदक, आपका आदि।

आवेदन पत्र

प्रधानाचार्य, व्यवस्थापक

श्रीमान जी, महोदय जी, मान्यवर

विनीत, प्रार्थी, भवदीय

शिकायत पत्र

संपादक, महाप्रबंधक अधिकारी आदि।

माननीय महोदय आदि।

आपका आज्ञाकारी, आपका स्नेह-भाजन, आपका शिष्य आदि।

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पिता कि और से पुत्र को सत्संगति का महत्व बताते हुए पत्र लिखिए। जन्मदिन पर मामाजी द्वारा भेजे उपहार
के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए। अपने जीवन का लक्ष्य बताते हुए मित्र को पत्र
लिखिए। पत्र लिख कर अपने मित्र को वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने
पर बधाई दीजिये। नए विद्यालय तथा छात्रावास में हुए अनुभव को बताते हुए अपने पिताजी को
पत्र लिखिये। पत्र लिख कर अपने विद्यालय ले लिए खेल सामान मंगवाईए। अच्छी हालत
में पुस्तकें भेजने की प्रशंसा करते हुए पुस्तक विक्रेता को पत्र लिखिए।
------------------------------

निमंत्रण पत्र=

अध्यक्ष एवम प्रबंध निदेशक
____ बैंक
सहर्ष सूचित करते हैं कि बैंक की नई
सोलन शाखा
माल रोड, बंसल एस्टेट, सोलन (हि० प्र०)
में सोमवार, दिनांक ३ अप्रैल , १९ __
से कार्य प्रारम्भ कर रही है
आप बैंक की नई शाखा पर
प्रातः ११ बजे से दोपहर ३ बजे के मध्य सादर आमंत्रित हैं

च ० छ ० ज ०
क्षेत्रीय प्रबंधक
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अपने मुख्याध्यापक को स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र देने के लिए प्रार्थना पत्र लिखें=

सेवा में,

मुख्याध्यापक,
कृष्ण हाई स्कूल,
चंडीगढ़ ।

श्रीमान जी,

सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल की ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा हूँ I
मेरे पिता जी एक बैंक में नौकरी करते हैं | इस महीने उनका तबादला पानीपत हो गया है |
मेरा परिवार अब पानीपत जा रहा है | इसलिए मैं यह स्कूल छोड़ रही हूँ । कृपया करके आप मुझे स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र देने की कृपा करें |
मैं आपकी सदा आभारी रहूंगी |

आपकी विनीत शिष्या,
विधाता कुमारी,
कक्षा ग्यारहवीं C,
रोल नम्बर 101-----------------------------

अपने मुख्याध्यापक को जुर्माना माफ़ी के लिए प्रार्थना पत्र लिखें=

सेवा में,

मुख्याध्यापक,
राजकीय उच्च विद्यालय,
शिमला ।

श्रीमान जी,

निवेदन यह है कि पिछले मंगलवार को हमारी कक्षा की संस्कृत की मासिक परीक्षा हुई थी |
उस दिन बहुत वर्षा हो रही थी और मैं कक्षा में उपस्थित नहीं हो सका |
इस कारण मेरे अध्यापक ने मेरे ऊपर 50 रूपये का जुर्माना लगा दिया |
मैं यह जुर्माना देने में असमर्थ हूँ | आपसे निवेदन है कि कृपया करके मेरा जुर्माना माफ़ कर दें ।
आपकी बहुत मेहरबानी होगी ।

मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा ।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
निमय गुर्जर ,
कक्षा दसवीं B,
रोल नम्बर 56,

तिथि: 12 अगस्त 2013
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अपने मुख्याध्यापक को फीस माफ़ी के लिए प्रार्थना पत्र लिखें |=

सेवा में,

मुख्याध्यापक,
दयानंद मॉडल स्कूल,
चंडीगढ़ ।

श्रीमान जी,

सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा आठवीं में पढ़ता हूँ |
मेरे पिताजी बहुत निर्धन हैं | हम घर में 6 लोग हैं और कम आय में निर्वाह करना कठिन हो रहा है |
में अपनी कक्षा का होनहार विद्यार्थी हूँ | में कक्षा में प्रथम आता हूँ |
खेलों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेता हूँ | अतः आपसे प्रार्थना है कि आप
मेरी पूरी फीस माफ़ कर दें और आगे पढ़ने का मौका देने की कृपा करें |
मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा |

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
प्रतीक गुर्जर ,
कक्षा 10+2 (A)
रोल नम्बर 12,

तिथि: 16 मई 2013
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एक नई Joinee की चिकित्सा जांच के लिए सिविल सर्जन को पत्र=संख्या ____
_____ मंत्रालय
______ निदेशालय
______ भवन
नई दिल्ली , दिनांक ____

सेवा में,

सिविल सर्जन
सफदरजंग अस्पताल
नई दिल्ली

विषय: श्री/श्रीमती/ कुमारी ______ कि मेडिकल परीक्षा

महोदय,

इस कार्यालय में श्री/श्रीमती/ कुमारी _____ की नियुक्ति ________
के रूप में करने पर विचार किया जा रहा है। अनुरोध है कि उनकी डाक्टरी परीक्षा
करें और स्वस्थता का प्रमाण पत्र इस कार्यालय को प्रस्तुत करें।

भवदीय,
ह० ________
सहायक निदेशक (प्रशासन)
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निजी पत्र =

राष्ट्रपति मार्ग,
नई दिल्ली – 110001,
भारत
29th जनवरी, 2011
प्रिय मित्र,
नमस्कार/नमस्ते!
————————– संदेश (Message) ————————
तुम्हारा मित्र,
सुरेश
-----------------------------------
प्रार्थना पत्र =

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य जी,
पब्लिक स्कूल,
वसंत कुंज, नई दिल्ली
विषय : बीमारी के कारण दो दिन के अवकाश हेतु।
आदरणीय/मान्यवर महोदय,
————————– संदेश (Message) ————————
धन्यवाद,
दिनांक : 29th जनवरी, 2011
आपका आज्ञाकारी
अभिनव कुमार,
कक्षा: दसवी ‘क’
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व्यवसायिक पत्र – 

सेवा में,
प्रबंधक महोदय,
गोयल पब्लिशिंग हाउस,
दरियागंज, दिल्ली
विषय : नये उपन्यास की उपलब्धता।
मान्यवर,
————————– संदेश (Message) ————————
धन्यवाद,
राष्ट्रपति मार्ग,
नई दिल्ली,
दिनांक : 29th जनवरी, 2011
भवदीय
राकेश शर्मा
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सरकारी पत्र –

सेवा में,
श्रीयुत आयकर आधिकारी,
नई दिल्ली विभाग,
नई दिल्ली
विषय : आयकर में त्रुटि।
मान्यवर,
————————– संदेश (Message) ————————
धन्यवाद,
राष्ट्रपति मार्ग,
नई दिल्ली,
दिनांक : 29th जनवरी, 2011
भवदीय
निमय गुर्जर

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उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद

उत्पत्ति के आधार पर शब्द के निम्नलिखित चार भेद हैं- 1. तत्सम- जो शब्द संस्कृत भाषा से हिन्दी में बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए हैं वे तत्सम कहलाते हैं। जैसे-अग्नि, क्षेत्र, वायु, रात्रि, सूर्य आदि। 2. तद्भव- जो शब्द रूप बदलने के बाद संस्कृत से हिन्दी में आए हैं वे तद्भव कहलाते हैं। जैसे-आग (अग्नि), खेत(क्षेत्र), रात (रात्रि), सूरज (सूर्य) आदि। 3. देशज- जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं वे देशज कहलाते हैं। जैसे-पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, खटखटाना आदि। 4. विदेशी या विदेशज- विदेशी जातियों के संपर्क से उनकी भाषा के बहुत से शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी अथवा विदेशज कहलाते हैं। जैसे-स्कूल, अनार, आम, कैंची,अचार, पुलिस, टेलीफोन, रिक्शा आदि। ऐसे कुछ विदेशी शब्दों की सूची नीचे दी जा रही है। अंग्रेजी- कॉलेज, पैंसिल, रेडियो, टेलीविजन, डॉक्टर, लैटरबक्स, पैन, टिकट, मशीन, सिगरेट, साइकिल, बोतल आदि। फारसी- अनार,चश्मा, जमींदार, दुकान, दरबार, नमक, नमूना, बीमार, बरफ, रूमाल, आदमी, चुगलखोर, गंदगी, चापलूसी आदि। अरबी- औलाद,

बहुवचन बनाने के नियम

नियम- (1) अकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंतिम अ को एँ कर देने से शब्द बहुवचन में बदल जाते हैं। जैसे- एकवचन= बहुवचन आँख= आँखें बहन= बहनें पुस्तक= पुस्तकें सड़क= सड़के गाय= गायें बात= बातें (2) आकारांत पुल्लिंग शब्दों के अंतिम ‘आ’ को ‘ए’ कर देने से शब्द बहुवचन में बदल जाते हैं। जैसे- एकवचन=बहुवचन, एकवचन=बहुवचन घोड़ा=घोड़े, कौआ=कौए कुत्ता=कुत्ते, गधा=गधे केला=केले, बेटा=बेटे (3) आकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंतिम ‘आ’ के आगे ‘एँ’ लगा देने से शब्द बहुवचन में बदल जाते हैं। जैसे- एकवचन=बहुवचन, एकवचन=बहुवचन कन्या=कन्याएँ, अध्यापिका=अध्यापिकाएँ कला=कलाएँ, माता=माताएँ कविता=कविताएँ, लता=लताएँ (4) इकारांत अथवा ईकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में ‘याँ’ लगा देने से और दीर्घ ई को ह्रस्व इ कर देने से शब्द बहुवचन में बदल जाते हैं। जैसे- एकवचन=बहुवचन, एकवचन=बहुवचन बुद्धि=बुद्धियाँ, गति=गतियाँ कली=कलियाँ, नीति=नीतियाँ कॉपी=कॉपियाँ, लड़की=लड़कियाँ थाली=थालियाँ, नारी=नारियाँ (5) जिन स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में या ह

शब्दों का लिंग-परिवर्तन

पुल्लिंग= स्त्रीलिंग घोड़ा= घोड़ी देव= देवी दादा= दादी लड़का= लड़की ब्राह्मण= ब्राह्मणी नर= नारी बकरा= बकरी ***** इया= चूहा= चुहिया चिड़ा= चिड़िया बेटा= बिटिया गुड्डा= गुड़िया लोटा= लुटिया ***** इन= माली= मालिन कहार= कहारिन सुनार= सुनारिन लुहार= लुहारिन धोबी= धोबिन ***** नी= मोर= मोरनी हाथी= हाथिन सिंह= सिंहनी आनी= नौकरनौकरानी चौधरी= चौधरानी देवर= देवरानी सेठ= सेठानी जेठ= जेठानी =***** आइन= पंडित= पंडिताइन ठाकुर= ठाकुराइन =***** आ= बाल= बाला सुत= सुता छात्र= छात्रा शिष्य= शिष्या =***** अक को इका करके= पाठक= पाठिका अध्यापक= अध्यापिका बालक= बालिका लेखक= लेखिका सेवक= सेविका ***** इनी (इणी)= तपस्वी= तपस्विनी हितकारी= हितकारिनी स्वामी= स्वामिनी परोपकारी= परोपकारिनी ***** कुछ विशेष शब्द जो स्त्रीलिंग में बिलकुल ही बदल जाते हैं।= पुल्लिंग= स्त्रीलिंग पिता= माता भाई= भाभी नर= मा